कक्षा 4 हिंदी – चाँद का कुरता
कवि: रामधारी सिंह 'दिनकर'
कविता "चाँद का कुरता" में कवि ने कल्पनाशीलता और हास्य के माध्यम से चाँद की ठिठुरन, उसके बदलते आकार और उसके झिंगोले की मजेदार माँग का वर्णन किया है। यह कविता बच्चों के लिए मनोरंजक और सीख देने वाली है।
कविता – चाँद का कुरता
नए शब्द और उनके अर्थ
| शब्द | हिंदी अर्थ | English Meaning |
|---|---|---|
| हठ | ज़िद, जिद्दीपन | Stubbornness |
| झिंगोला | मोटा ऊनी कपड़ा | Woolen coat |
| सन-सन | हवा की तेज़ आवाज़ | Whistling sound of wind |
| ठिठुरना | ठंड से काँपना | Shiver due to cold |
| यात्रा | सफ़र, यात्रा करना | Journey |
| सलोने | सुंदर, प्यारे | Handsome, charming |
| जादू-टोना | जादुई मंत्र या टोना | Magic spell |
| अंगुल | उंगली जितना छोटा भाग | Finger-width |
| घटता-बढ़ता | छोटा-बड़ा होना | Wax and wane |
| कुशल | सुख-समृद्धि | Well-being |
कविता – चाँद का कुरता : प्रश्न-उत्तर
★ बातचीत के लिए
प्रश्न 1: आकाश आपको कब-कब बहुत सुंदर दिखाई देता है और क्यों?
उत्तर: आकाश मुझे खासकर शाम के समय और पूर्णिमा की रात को बहुत सुंदर लगता है, क्योंकि उस समय सूरज की लालिमा या चाँद की चाँदनी पूरे आकाश को मनमोहक बना देती है।
प्रश्न 2: चाँद को ठंड लगती है इसलिए वह झिंगोला माँग रहा है। सूरज क्या कहकर अपनी माँ से कपड़े माँगेगा?
उत्तर: सूरज अपनी माँ से कहेगा कि उसे धूप की गर्मी से बचने के लिए हल्के और ठंडे कपड़े चाहिए, ताकि उसे तपिश का सामना न करना पड़े।
प्रश्न 3: आपने आकाश में क्या-क्या परिवर्तन होते देखे हैं?
उत्तर: मैंने आकाश में बादलों का बदलना, सूरज का डूबना और उगना, चाँद का बढ़ना और घटना, तथा तारों का चमकना जैसे सुंदर परिवर्तन देखे हैं।
प्रश्न 4: जब आप अपने अभिभावक के साथ नए कपड़े खरीदने जाते हैं तब किन-किन बातों का ध्यान रखते हैं?
उत्तर: कपड़े खरीदते समय मैं उनकी गुणवत्ता, कपड़े का रंग, डिजाइन, मौसम के अनुसार उसकी उपयोगिता और उसकी कीमत का विशेष ध्यान रखता हूँ।
★ कविता से
प्रश्न 1: चाँद की माँ उसे झिंगोला क्यों नहीं दे पा रही है?
- (क) लड़के के पास पहले से ही बहुत से झिंगोले हैं।
- ★ (ख) चाँद के शरीर का आकार घटता-बढ़ता रहता है।
- (ग) चाँद अपने वस्त्र सँभालकर नहीं रखता है।
- (घ) चाँद की माँ अभी कोई नया वस्त्र नहीं सिलवाना चाहती है।
प्रश्न 2: कविता में चाँद के बदलते आकार का वर्णन करने के लिए किन शब्दों का प्रयोग किया गया है?
- ★ (क) एक अंगुल-भर चौड़ा
- ★ (ख) एक फुट मोटा
- ★ (ग) किसी दिन बड़ा
- ★ (घ) किसी दिन छोटा
प्रश्न 3: कविता में ठंड के मौसम का वर्णन करने के लिए किन-किन शब्दों का प्रयोग किया गया है?
- ★ (क) ऊन का मोटा झिंगोला
- ★ (ख) सन-सन चलती हवा
- ★ (ग) ठिठुर-ठिठुरकर यात्रा
- (घ) भाड़े का कुरता
★ सोचिए और लिखिए
प्रश्न 1: कविता की किन पंक्तियों से पता चलता है कि चाँद किसी एक दिन बिलकुल दिखाई नहीं देता है?
उत्तर: यह पंक्तियाँ बताती हैं – "घटता-बढ़ता रोज किसी दिन ऐसा भी करता है, नहीं किसी की भी आँखों को दिखलाई पड़ता है।"
प्रश्न 2: सर्दी से बचने के लिए चाँद, माँ से ऊन के झिंगोले के अतिरिक्त और कौन-से कपड़े माँग सकता है?
उत्तर: चाँद अपनी माँ से ऊनी स्वेटर, टोपी, मफलर और दस्ताने भी माँग सकता है।
प्रश्न 3: जाड़े के मौसम में चाँद को क्या कठिनाई होती है?
उत्तर: जाड़े में चाँद को ठंडी हवा से ठिठुरन होती है और वह रातभर आसमान में यात्रा करते समय ठंड से परेशान हो जाता है।
प्रश्न 4: चाँद किस यात्रा को पूरा करने की बात कर रहा है?
उत्तर: चाँद आसमान का सफर यानी रातभर का आकाशीय भ्रमण पूरा करने की बात कर रहा है।
चाँद का कुरता – अभिभावक और आप | अनुमान और कल्पना
★ अभिभावक और आप
प्रश्न 1: जब आप ठंडी रात में सोते समय अपने पैरों से कंबल या रजाई उतार फेंकते हैं।
उत्तर: मेरे अभिभावक मुझे प्यार से जगाकर कहते हैं – "कंबल ठीक से ओढ़ लो, नहीं तो सर्दी लग जाएगी।"
प्रश्न 2: जब आप ठंड में आइसक्रीम खाने का हठ करते हैं।
उत्तर: वे कहते हैं – "अभी मौसम ठंडा है, आइसक्रीम खाने से सर्दी हो जाएगी। तुम्हें गर्म दूध या सूप देना बेहतर है।"
प्रश्न 3: जब आप दूध पीने, हरी सब्जियाँ और फल आदि खाने से कतराते हैं।
उत्तर: अभिभावक समझाते हैं – "ये सब तुम्हारे शरीर के लिए बहुत जरूरी हैं। इन्हें खाने से तुम स्वस्थ और मजबूत बनोगे।"
प्रश्न 4: जब आप देर तक सोते हैं।
उत्तर: वे कहते हैं – "जल्दी उठना अच्छी आदत है। देर तक सोने से समय बर्बाद होता है और स्वास्थ्य भी खराब हो सकता है।"
प्रश्न 5: जब कोई आपके घर आपकी शिकायत करने आता है।
उत्तर: वे पहले मेरी बात ध्यान से सुनते हैं और फिर मुझे समझाते हैं कि अपनी गलती को मानकर उसे सुधारना चाहिए।
प्रश्न 6: जब आपके अच्छे कामों के लिए आपकी प्रशंसा होती है अथवा पुरस्कार मिलता है।
उत्तर: मेरे अभिभावक बहुत खुश होते हैं और कहते हैं – "हमें तुम पर गर्व है, इसी तरह मेहनत करते रहो।"
★ अनुमान और कल्पना
प्रश्न 1: आप अपनी माँ से चाँद का दुखड़ा कैसे बताएँगे?
उत्तर: मैं कहूँगा – "माँ, चाँद बेचारा ठंड में ठिठुर रहा है, वह चाहता है कि कोई उसे गर्म कपड़ा सीकर दे, ताकि वह आराम से आकाश का सफर कर सके।"
प्रश्न 2: गरमी और वर्षा से बचने के लिए चाँद अपनी माँ से क्या कहेगा? वह किस प्रकार के कपड़ों एवं वस्तुओं की माँग कर सकता है?
उत्तर: गरमी से बचने के लिए चाँद माँ से कहेगा – "मुझे हल्के और ठंडे कपड़े दो।" वर्षा में वह कहेगा – "माँ, मेरे लिए एक सुंदर छाता और रेनकोट लाओ।"
प्रश्न 3: चाँद ने माँ से कुरता किराए पर लाने के लिए क्यों कहा होगा?
उत्तर: चाँद का शरीर रोज़ बदलता है, इसलिए उसने सोचा होगा कि किराए का कुरता लेना आसान रहेगा और बार-बार नया सिलवाने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
प्रश्न 4: यदि माँ ने चाँद का कुरता सिलवा दिया होता तो क्या होता?
उत्तर: यदि चाँद का कुरता सिलवा दिया होता, तो चाँद हर दिन अलग आकार में फिट न हो पाता और उसका कुरता ढीला या तंग हो जाता।
कक्षा 4 हिंदी – चाँद का कुरता (भाषा की बात)
1. 'भर' शब्द का प्रयोग करते हुए पाँच वाक्य।
उत्तर:
- पानी गिलास भर है।
- उसने दिन भर पढ़ाई की।
- हमने साल भर मेहनत की।
- कपड़े अलमारी भर रखे हैं।
- बैग में किताबें भर दी गईं।
2. पुनरावृत्ति वाले पाँच वाक्य।
उत्तर:
- जल्दी-जल्दी कपड़े पहन लो।
- धीरे-धीरे बातें करो।
- हँसते-हँसते पेट में दर्द हो गया।
- पढ़ते-पढ़ते नींद आ गई।
- भागते-भागते वह गिर पड़ा।
3. कविता की पंक्तियों में शब्द-भेद।
| शब्द-भेद | उदाहरण | वाक्य में प्रयोग |
|---|---|---|
| संज्ञा | चाँद, माता, सफर, मौसम, झिंगोला | चाँद सफर पर निकल पड़ा। |
| सर्वनाम | यह, मुझे, वह | यह झिंगोला मेरा है। |
| विशेषण | मोटा, ठंडी, प्यारा | मुझे मोटा झिंगोला चाहिए। |
| क्रिया | बैठा, बोला, करता, पूरी | चाँद ने माँ से बोला। |
4. संवाद – चाँद और माँ का संवाद पूरा कीजिए।
चाँद: माँ, मुझे बहुत ठंड लगती है। मेरे लिए झिंगोला सिलवा दो!
माँ: तुझे सच में ठंड सताती होगी लेकिन एक समस्या है।
चाँद: समस्या? कैसी समस्या, माँ?
माँ: तेरा आकार तो प्रतिदिन बदलता रहता है। कभी छोटा, कभी बड़ा, कभी एकदम गायब! मैं कैसे नाप लूँ?
चाँद: (सोचकर) अरे हाँ। लेकिन फिर भी कोई उपाय तो होगा?
माँ: उपाय यह है कि हम कपड़े के दुकानदार से पूछते हैं।
चाँद: अच्छा, तो मैं दुकानदार से कहूँगा कि वह रोज़ नया कपड़ा दे।
माँ: लेकिन दर्जी को भी रोज़ नया कुरता सिलना पड़ेगा।
चाँद: दर्जी से कह देंगे कि वह मेरे बदलते आकार के अनुसार झिंगोला बनाए।
माँ: बेटा, यह आसान नहीं।
चाँद: तो फिर मुझे किराए का कुरता लेना होगा।
माँ: यह ठीक है। चलो, दुकानदार से बात करते हैं।
चाँद और कपड़ों की बातचीत
चाँद और माँ का संवाद
चाँद: माँ, मुझे बहुत ठंड लगती है। मेरे लिए ऊन का झिंगोला सिलवा दो!
माँ: तुझे सच में ठंड सताती होगी, लेकिन एक समस्या है।
चाँद: समस्या? कैसी समस्या, माँ?
माँ: तेरा आकार तो प्रतिदिन बदलता रहता है। कभी छोटा, कभी बड़ा, कभी एकदम गायब! मैं कैसे नाप लूँ?
चाँद: (सोचकर) अरे हाँ। लेकिन फिर भी कोई उपाय तो होगा?
माँ: हाँ, उपाय है! तू एक जादुई कपड़ा ढूंढ ले जो छोटा-बड़ा हो सके।
चाँद: (हँसते हुए) माँ, क्या कपड़ा भी जादू कर सकता है?
माँ: क्यों नहीं? अगर चाँद बदल सकता है तो कपड़ा क्यों नहीं!
चाँद और कपड़े का दुकानदार
चाँद: दुकानदार जी, मुझे एक गरम कपड़ा चाहिए जिससे मेरी सर्दी दूर हो जाए।
दुकानदार: अवश्य, कितने मीटर चाहिए?
चाँद: यही तो समस्या है। मैं कभी छोटा होता हूँ, कभी बड़ा। आप ही बताइए... कितने मीटर लूँ?
दुकानदार: (हँसकर) अरे छोटू चाँद! जब आपका नाप ही तय नहीं तो कपड़ा कैसे दूँ? पहले नाप तो तय करके आओ!
चाँद: लेकिन मेरा नाप रोज़ बदलता है। क्या आपके पास ऐसा कपड़ा नहीं है जो अपने आप छोटा-बड़ा हो सके?
दुकानदार: ऐसा जादुई कपड़ा तो मेरे पास नहीं है। लेकिन क्यों न तुम रज़ाई खरीद लो? वह किसी भी आकार में काम आ सकती है।
चाँद: यह तो अच्छी बात है। लेकिन मेरी यात्रा के दौरान हवा उड़ाकर ले जाएगी।
दुकानदार: फिर तो तुम्हें ऊन का गरम शॉल चाहिए, जो हल्का भी हो और लपेटा भी जा सके।
चाँद: अच्छा विचार है! मुझे एक मोटा और गरम शॉल दे दो।
दुकानदार: ठीक है, ये लो चाँद जी। अगली बार अपने साथ सूरज को भी ले आना, उसके लिए गर्म कपड़े की जरूरत नहीं होगी!
चाँद: (हँसते हुए) सही कहा! सूरज तो हमेशा गर्मी में रहता है।
चाँद और दर्जी का संवाद
चाँद: दर्जी जी, मेरे लिए एक कुरता सिल दीजिए।
दर्जी: बिलकुल! लेकिन पहले नाप तो दो।
चाँद: यही तो समस्या है! कभी मैं छोटा, कभी बड़ा हो जाता हूँ।
दर्जी: (हँसते हुए) तो फिर ऐसा करो, प्रतिदिन मेरे पास आओ और मैं प्रत्येक दिन तुम्हारे नाप का नया कुरता सिल दूँगा!
चाँद: (प्रसन्न होते हुए) फिर तो मुझे प्रतिदिन नए कपड़े मिलेंगे! लेकिन माँ मानेंगी नहीं!
दर्जी: माँ को समझा देना कि चाँद के कपड़े फैशन के हिसाब से बदलते हैं!
चाँद: (हँसते हुए) वाह! यह तो मज़ेदार बहाना है।
दर्जी: लेकिन रोज़-रोज़ नए कपड़े सिलवाने में बहुत खर्च होगा!
चाँद: खर्च की चिंता मत करो, मैं अपनी चाँदनी से तुम्हें चाँदी के सिक्के दे दूँगा।
दर्जी: (मुस्कुराते हुए) ठीक है, फिर तो कल से तुम्हारे लिए जादुई कुरता सिलना शुरू कर दूँगा।
चाँद: धन्यवाद दर्जी जी, अब तो मैं हर रात नया कुरता पहनकर आसमान में चमकूँगा!
कविता से आगे
A
सोचिए, समझिए और बताइए
पढ़िए और समझिए
"मुझे चाहिए एक जादुई कुरता, जो मौसम के साथ बदल जाए। सर्दी में गरम, गरमी में ठंडा, और बारिश में जलरोधक। अगर आपके पास ऐसा कुरता है, तो तुरंत मुझे भेजिए। पुरस्कार – मेरी चाँदनी का उजाला!"