न्याय की कुर्सी – सारांश, प्रश्न-उत्तर, कठिन शब्द और अर्थ (Class 5 Hindi)

Tr. Prashant
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न्याय की कुर्सी

📚 न्याय की कुर्सी - नए शब्द और उनके अर्थ

शब्द हिंदी अर्थ English Meaning
प्राचीन बहुत पुराना Ancient
ऐतिहासिक इतिहास से जुड़ा Historical
झुंड समूह Group / Flock
शिला पत्थर Stone
फरियाद शिकायत Complaint
गवाही साक्ष्य Testimony
दैवी शक्ति ईश्वरीय शक्ति Divine Power
निर्णय फैसला Decision
स्तंभित चकित Astonished
मजाल साहस Dare
लाव-लश्कर सैनिक दल Army / Troop
चमत्कार अद्भुत घटना Miracle
खूबसूरत सुंदर Beautiful
भीड़ जनसमूह Crowd
विवेक समझ-बूझ Wisdom
लज्जा शर्म Shame
प्रायश्चित पश्चाताप करना Repentance
सकपकाना घबरा जाना Fluster
भोला-भाला सीधा-सादा Innocent
दृढ़ मजबूत/पक्का Firm/Strong

💬 बातचीत के लिए – प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: आपका प्रिय खेल कौन-सा है? आप उसे कैसे खेलते हैं?

उत्तर: मेरा प्रिय खेल क्रिकेट है। मैं इसे अपने दोस्तों के साथ खेलता हूँ। इसमें दो टीमें होती हैं, एक टीम बल्लेबाजी करती है और दूसरी टीम गेंदबाजी और फील्डिंग। मुझे बल्लेबाजी करना बहुत पसंद है क्योंकि इससे मैं ज्यादा रन बनाने की कोशिश करता हूँ।

प्रश्न 2: क्या आपने कभी किसी समस्या का समाधान किया है? अपना अनुभव साझा कीजिए।

उत्तर: हाँ, एक बार स्कूल में दो दोस्तों में झगड़ा हो गया था। मैंने दोनों की बात शांत मन से सुनी और समझाया कि झगड़ा करने से कोई फायदा नहीं होता। मैंने उन्हें साथ में खेल खेलने का सुझाव दिया और दोनों फिर से दोस्त बन गए।

प्रश्न 3: यदि आप राजा के स्थान पर होते और आपको लड़के के बारे में पता चलता तो आप क्या करते?

उत्तर: अगर मैं राजा के स्थान पर होता, तो उस लड़के की बुद्धिमानी की सराहना करता। मैं उसे अपने दरबार में बुलाकर सम्मानित करता और उसके विचार सुनता। मैं उससे सीखने की कोशिश करता कि वह न्याय करते समय कौन-सी बातें ध्यान में रखता है।

प्रश्न 4: लड़के के अंदर ऐसे कौन-कौन से गुण होंगे जिनके कारण वह सिंहासन पर बैठ पा रहा था?

उत्तर: लड़के के अंदर कई अच्छे गुण थे जैसे – ईमानदारी, निष्पक्षता, न्यायप्रियता, तेज बुद्धि, और दूसरों की बात ध्यान से सुनने की क्षमता। इन्हीं गुणों की वजह से लोग उसकी बातों पर भरोसा करते थे और वह सिंहासन पर बैठकर सही निर्णय दे पाता था।

⭐ पाठ से – प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: राजा को लड़के द्वारा न्याय करने के विषय में कैसे पता चला?

(क) लड़के द्वारा की गई शरारतों को सुनकर

* (ख) लोगों द्वारा लड़के के न्याय की प्रशंसा सुनकर

(ग) लड़के द्वारा अपने न्याय की बुराई सुनकर

(घ) मंत्रियों द्वारा लड़के की बुद्धि की प्रशंसा सुनकर

प्रश्न 2: राजा को सबसे अधिक आश्चर्य किस बात से हुआ?

(क) बच्चे खेल-खेल में न्याय कर रहे थे।

(ख) लोग राजा के दरबार में नहीं आ रहे थे।

* (ग) सिंहासन पर बैठने वाला लड़का सही न्याय करता था।

* (घ) स्वयं सिंहासन में ही कोई चमत्कारी शक्ति विद्यमान थी।

प्रश्न 3: लड़कों को यह खेल इतना अच्छा क्यों लगा कि वे प्रतिदिन इसे खेलने लगे?

* (क) क्योंकि वे राजा जैसा बनने का आनंद ले रहे थे।

(ख) क्योंकि यह अन्य खेलों से अधिक मनोरंजक था।

* (ग) क्योंकि उन्हें न्याय करने का अनुभव अच्छा लगा।

(घ) क्योंकि इस खेल से वे नगर भर में प्रसिद्ध हो गए थे।

प्रश्न 4: राजा ने उपवास और प्रायश्चित क्यों किया?

* (क) ताकि वह सिंहासन पर बैठने के योग्य बन सके।

(ख) क्योंकि उसे अपने कर्मों पर पछतावा था।

* (ग) क्योंकि मूर्तियों ने उसे ऐसा करने के लिए कहा था।

(घ) क्योंकि जनता ने ने उसे ऐसा करने को कहा था।

सोचिए और लिखिए – प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 1: सभी लड़के सिंहासन पर बैठ पा रहे थे लेकिन राजा नहीं बैठ पाया। ऐसा क्यों?

उत्तर: लड़के निर्दोष और निष्कपट थे। उनके मन में कोई पाप या छल-कपट नहीं था, इसलिए वे सिंहासन पर बैठ पाते थे। राजा ने कई गलत काम किए थे, जैसे दूसरों की जमीन हड़पना और झूठ बोलना। इसलिए वह सिंहासन पर बैठने के योग्य नहीं था।

प्रश्न 2: क्या राजा को प्रायश्चित करने के बाद सिंहासन पर बैठने का अधिकार मिलना चाहिए था? अपने उत्तर का कारण भी बताइए।

उत्तर: हाँ, यदि राजा ने सच्चे मन से प्रायश्चित किया होता और अपने दोषों को सुधार लिया होता, तो उसे सिंहासन पर बैठने का अधिकार मिल सकता था। परंतु कहानी में राजा पूरी तरह शुद्ध नहीं हो पाया था, इसलिए सिंहासन ने उसे स्वीकार नहीं किया।

प्रश्न 3: दोनों किसानों ने अपने झगड़े के निपटारे के लिए राजा के दरबार में जाने के बजाय लड़के के पास जाने का फैसला क्यों किया?

उत्तर: लड़के की न्याय-बुद्धि और निष्पक्ष फैसलों की चर्चा पूरे नगर में हो चुकी थी। लोग मानते थे कि लड़के में कोई दैवी शक्ति है और वह सही निर्णय ले सकता है। इसलिए किसानों ने भी लड़के पर विश्वास किया।

प्रश्न 4: चौथी मूर्ति सिंहासन के साथ आकाश में क्यों उड़ गई?

उत्तर: चौथी मूर्ति ने राजा की अहंकार और लालच भरी मानसिकता को देख लिया था। उसे लगा कि राजा सिंहासन की मर्यादा का पालन नहीं कर पाएगा। इसलिए सिंहासन समेत आकाश में उड़ गई।

प्रश्न 5: इस कहानी को एक नया शीर्षक दीजिए और बताइए कि आपने यह शीर्षक क्यों चुना?

उत्तर: इस कहानी का नया शीर्षक हो सकता है "सत्य का सिंहासन"। यह शीर्षक इसलिए उपयुक्त है क्योंकि यह कहानी सिखाती है कि केवल सच्चे, निष्कपट और न्यायप्रिय व्यक्ति ही वास्तविक सम्मान और शक्ति के हकदार होते हैं।

अनुमान और कल्पना – प्रश्न एवं उत्तर

प्रश्न 1: कहानी में सिंहासन की मूर्तियाँ उड़कर किसी और जगह चली जाती हैं। वे कहाँ जाती होंगी और वहाँ क्या करती होंगी?

उत्तर: मूर्तियाँ शायद आकाश में देवताओं की सभा में चली जाती होंगी या किसी पवित्र स्थान पर जाकर अगले योग्य व्यक्ति की प्रतीक्षा करती होंगी। वहाँ वे यह निर्णय करती होंगी कि कौन व्यक्ति सच्चे न्याय और निष्कपट भाव से सिंहासन पर बैठने के योग्य है।

प्रश्न 2: यदि इस कहानी के अंत में राजा सिंहासन पर बैठने में सफल हो जाता तो क्या होता?

उत्तर: यदि राजा सिंहासन पर बैठ जाता, तो वह अधिक बुद्धिमान और न्यायप्रिय बनने की कोशिश करता। उसे मूर्तियों से सही मार्गदर्शन मिलता और उसकी न्याय-बुद्धि बढ़ती। साथ ही, प्रजा भी उस पर अधिक विश्वास करती।

भाषा की बात – विराम चिह्न

प्रश्न: नीचे दिए गए वाक्यों में उचित स्थानों पर विराम चिह्न लगाइए –

(क) चौथी मूर्ति ने कहा, "ठहरो! जो लड़के इस सिंहासन पर बैठते थे, वे भोले-भाले थे। उनके मन में कलुष नहीं था। अगर तुमको विश्वास है कि तुम इस योग्य हो, तो इस सिंहासन पर बैठ सकते हो।"

(ख) राजा बड़ी देर तक सोचता रहा। फिर उसने मन ही मन कहा, "अगर एक लड़का इस पर बैठ सकता है, तो भला मैं क्यों नहीं बैठ सकता हूँ? मैं राजा हूँ। मुझसे ज्यादा धनवान, बलवान और बुद्धिमान भला और कौन होगा? मैं अवश्य इस सिंहासन पर बैठने योग्य हूँ।"

भाषा की बात – प्रश्न और उत्तर

प्रश्न 2: "तीसरी मूर्ति भी उड़ गई।" इस वाक्य के आधार पर प्रश्नों के उत्तर लिखिए –

(क) इस वाक्य में संज्ञा शब्द कौन-सा है?

उत्तर: इस वाक्य में संज्ञा शब्द "मूर्ति" है।

(ख) कौन-सा शब्द इस संज्ञा शब्द के गुण या विशेषता को बता रहा है?

उत्तर: इस वाक्य में "तीसरी" शब्द संज्ञा "मूर्ति" की विशेषता बता रहा है।

प्रश्न 3: कहानी में से चुनकर कुछ वाक्य नीचे दिए गए हैं। इनमें विशेषण शब्द पहचानकर उनके नीचे रेखा खींचिए –

(क) एक दिन लड़कों का एक झुंड वहाँ खेल रहा था।
(ख) उज्जैन की प्राचीन और ऐतिहासिक नगरी के बाहर लंबा-चौड़ा मैदान था।
(ग) इतनी छोटी उम्र में इतनी बुद्धि का होना आश्चर्य की बात है।
(घ) राजा ने देखा कि वह पत्थर नहीं, बहुत ही सुंदर सिंहासन था।
(ङ) बात ही बात में वहाँ अच्छी खासी भीड़ जमा हो गई।

सोचिए और लिखिए

प्रश्न 4: आपमें कौन-कौन सी विशेषताएँ होनी चाहिए जिससे आप कहानी के सिंहासन पर बैठ सकें? लिखिए।

उत्तर: कहानी के सिंहासन पर बैठने के लिए व्यक्ति में निम्नलिखित विशेषताएँ होनी चाहिए –

  • सत्य और ईमानदारी का पालन करना।
  • कभी किसी को कष्ट या अन्याय न पहुँचाना।
  • धैर्य और विवेक से निर्णय लेने की क्षमता होना।
  • लोभ, क्रोध और अहंकार से मुक्त होना।
  • सबके प्रति दयालु और निष्पक्ष रहना।
  • सच्चाई और न्याय की राह पर हमेशा चलना।

इन गुणों को अपनाकर ही कोई व्यक्ति इस कहानी के सिंहासन के योग्य बन सकता है।

पाठ से आगे

प्रश्न 1: कहानी में गाँव वाले न्याय करवाने या झगड़े सुलझाने बच्चों के पास जाया करते थे। आप अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए किन-किनके पास जाते हैं? आप उन्हीं के पास क्यों जाते हैं?

उत्तर: मैं अपनी समस्याएँ सुलझाने के लिए सबसे पहले अपने माता-पिता और शिक्षकों के पास जाता हूँ। मैं उन्हीं के पास इसलिए जाता हूँ क्योंकि वे हमेशा निष्पक्ष और सही सलाह देते हैं, और कठिन समय में मेरा मार्गदर्शन करते हैं।

प्रश्न 2: क्या कभी ऐसा हुआ है कि किसी ने आपके साथ अन्याय किया हो? आपने उस स्थिति का सामना कैसे किया?

उत्तर: हाँ, एक बार मेरे साथ अन्याय हुआ था जब मेरे काम का श्रेय किसी और को दे दिया गया। मैंने शांत रहकर सबूत के साथ अपनी बात शिक्षक के सामने रखी। शिक्षक ने मेरी बात सुनी और सही निर्णय लिया। मैंने सीखा कि अन्याय का सामना धैर्य और सच्चाई से करना चाहिए।

पता लगाकर कीजिए

"राजा ने आज्ञा दी कि सिंहासन को ले जाकर राजदरबार में रख दिया जाए।" सिंहासन एक विशेष प्रकार की भव्य कुर्सी हुआ करती थी जिस पर राजा-महाराजा बैठा करते थे। आज भी हम बैठने के लिए अनेक प्रकार की वस्तुओं का उपयोग करते हैं। नीचे कुछ वस्तुओं के चित्र और उनके वर्णन दिए गए हैं।

वस्तु वर्णन आपकी भाषा में नाम
चटाई यह घास, बांस या प्लास्टिक से बनी होती है। इसे भूमि पर बिछाकर बैठा जाता है। चटई
दरी यह मोटे कपड़े या सूती धागों से बनी होती है। यह उत्सवों या सामाजिक कार्यक्रमों में उपयोग की जाती है। दरी
मूढ़ा यह गोल आकार का बैठने का स्थान होता है जो बांस या लकड़ी से बनाया जाता है। मूढ़ा
चारपाई लकड़ी के ढांचे पर रस्सी या पट्टियों को बांधकर बनाई जाती है। इस पर बैठने और सोने दोनों के लिए उपयोग किया जाता है। खाट
पीढ़ा लकड़ी या प्लास्टिक का छोटा आसन जिस पर बैठा जाता है। पीढ़ी
टाट पट्टी यह सूत, टाट या मोटे धागों से बनी होती है। इसे बिछाकर बैठने के लिए उपयोग किया जाता है। पट्टी

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